कुर्मी समाज के आंदोलन को लेकर सियासत गर्म होती दिख रही है। इसी बीच रामेश्वर उरांव का बड़ा बयान सामने आया है . राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के चेयरमैन रहे रामेश्वर उरांव ने कहा है कि उन्होंने कहीं पढ़ा है कि वर्ष 1929 में मुजफ्फरपुर में कुड़मियों की एक बैठक हुई थी. इसमें कई राज्यों से लोग आये थे. इस बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ था कि कुड़मी हिंदू हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि वे जनेऊ पहनेंगे और आदिवासी नहीं कहलायेंगे. लेकिन, अब कुड़मी समाज के लोग खुद को एसटी यानी अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. डॉ उरांव कहते हैं कि इनकी मांग कानूनी तौर पर उचित है या नहीं, इस पर गहन अध्ययन की जरूरत है. कुड़मी समुदाय आदिवासी का दर्जा देने की मांग कर रहा है. कई राज्यों में इसके लिए उसने आंदोलन तेज कर दिया है. झारखंड की सरकार इस मुद्दे पर अभी तक मौन है.