झारखंड शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद (जेसीइआरटी) ने ऐसे महान लोगों की जीवनी तैयार कर ली है, जिन्होंने झारखण्ड का नाम रौशन किया है, झारखण्ड को पहचान दिलाने के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी है . अब झारखंड के सरकारी स्कूलों की सिलेबस में ऐसे 42 लोगों की जीवनी को शामिल किया जाएगा, इनमें बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू, फूलो- झानो, तिलका मांझी, पांडेय गणपत राय, तेलंगा खड़िया, नीलाबंर-पीतांबर, ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव,वीर बुधु भगत, पोटो सरदार, ठेबले उरांव, विनोद बिहारी महतो, विनोद बिहारी महतो, निर्मल महतो,देवेंद्र मांझी, रघुनाथ महतो, जतरा भगत, डॉ राम दयाल मुंडा, जयपाल सिंह मुंडा, डॉ राम दयाल मुंडा राजा अर्जुन सिंह, कार्तिक उरांव, शिबू सोरेन, सिमोन उरांव, सावित्री पूर्ती, महेंद्र सिंह धोनी, मुकुंद नायक आदि, चाहे वह स्वतंत्रता सेनानी हों, महापुरुष हों, झारखंड आंदोलनकारी हों या खिलाड़ी। इसे अगले शैक्षणिक सत्र से लागू किये जाने की संभावना है। सरकार की सहमति मिलते ही अगली सत्र में इसे शुरू कर दिया जाएगा। राज्य बनने के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है जब ऐसी पुस्तिका तैयार की जा रही है। इस पुस्तिका के जरिए बच्चे झारखंड की हस्तियों के बारे में जान सकेंगे। यह संदर्भ पुस्तिका कक्षा 4 से शामिल की जायेगी और कक्षा 12 तक की किताब में इसे शामिल किया जायेगा। हर किताब में जीवनी को अलग से जोड़ा जायेगा। किताब के अंत में हस्तियों की जानकारी होगी। कुछ महीनों पहले जब यह बात उठी थी कि शिबू सोरेन की जीवनी स्कूलों में बच्चों को पढ़ानी चाहिए तो उस वक्त शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा था कि शिबू सोरेन झारखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश में गुरुजी के नाम से जाने जाते हैं। उनकी संघर्ष-गाथा प्रेरणास्रोत के रूप में बतायी जाती है। झारखंड राज्य के गठन में इनकी सर्वोपरि भूमिका रही है और गरीब, आदिवासी, दलित, पिछड़ों को सूदखोरों से निजात दिलाने के लिए इनका संघर्ष ऐतिहासिक है।