कृषि मंत्री श्री बादल ने उदयपुर में आयोजित ऊर्जा प्रक्षेत्रों में समस्या और सुझाव को लेकर हुए सम्मेलन में की शिरकत झारखंड में ऊर्जा की समस्या के संदर्भ में रखा मजबूत पक्ष

राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों के विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन की शुरुआत आज हुई , दो दिवसीय इस सम्मेलन में  झारखंड सरकार की ओर से कृषि पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री श्री बादल ने भाग लिया, उन्होंने झारखंड में हो रही ऊर्जा से संबंधित तमाम बातों को रखा ,उन्होंने सम्मेलन में कहा कि डीवीसी द्वारा समय-समय पर ऊर्जा के बकाया को लेकर राज्य में बिजली की कटौती की जाती है ,जबकि राज्य सरकार का पैसा कोयले के रॉयल्टी के रूप में लगभग एक लाख 36हजार 42 करोड़ केंद्र के पास बकाया है, उन्होंने केंद्रीय मंत्री  से अनुरोध किया है कि ऊर्जा के बकाए को कोयले के रॉयल्टी से काटकर बाकी रकम राज्य को दे दी जाए।

माननीय केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्य राज्य सरकार उन्हें लिखित रूप में इन सारी बातों को दें ,जिसके बाद वह केंद्रीय कोयला मंत्री भारत सरकार से बात कर इसके समाधान का रास्ता निकालेंगे

 श्री बादल ने सम्मेलन में pm kusum में हो रहे किसानों की परेशानी का मुद्दा भी उठाया, उन्होंने कहा कि pm-kusum कंपोनेंट बी में सोलर पंप वाले एजेंसी का चयन केंद्र द्वारा किया जाता है , एजेंसी के द्वारा सोलर पंप किसान को तो दिया जाता है पर पंप के खराब होने पर उसका मेंटेनेंस का जिम्मा एजेंसी के द्वारा बिल्कुल नहीं उठाया जाता है, इस पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार भी एजेंसी का चयन कर सकती है

श्री बादल ने केंद्रीय मंत्री से मांग की है कि ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को झारखंड में धनबाद जिले में हर्ब कारखाना सिंदरी में लगाएं। श्री बादल ने पकरीबरवाडी में हो रहे विस्थापन का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठाया, उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के द्वारा कोल माइंस और पावर प्लांट हेतु पकरी बरवाडीह बड़कागांव तथा चतरा जिले में जमीन का अधिग्रहण किया गया है जिससे विस्थापन की समस्या खड़ी हो गई है ।उन्होंने बताया कि आंदोलन के चलते कुछ लोगों की जान भी गई है , एनटीपीसी के द्वारा उचित मुआवजा तथा विस्थापितों को नौकरी उचित तरीके से दी जाए, उन्होंने वर्तमान दर से मुआवजा देने की मांग भी केंद्र सरकार से की है। उन्होंने कहा कि राज्य में काफी संख्या में लोग विस्थापन का दंश झेल रहे हैं इस दिशा में उन्होंने केंद्र से इसका समाधान निकालने का अनुरोध किया है ,माननीय मंत्री ने कहा कि झारखंड में जेबीवीएनएल के अलावा दूसरी बिजली वितरण कंपनियों द्वारा राज्य के सिर्फ अमीर उपभोक्ताओ तथा औद्योगिक उपभोक्ता को बिजली देने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई जाती है जिससे गरीब उपभोक्ता काफी परेशान होते हैं।  इस दिशा में केंद्र को ध्यान देते हुए एक्ट लाने की जरूरत है, जिससे गरीब उपभोक्ताओं को लाभ मिल सके ।

उन्होंने  बताया कि केंद्र के नियम के अनुसार जितना उपभोक्ताओं का  लोड है वह उतना का ही सोलर प्लांट लगा सकते हैं। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से आग्रह करते हुए कहा है कि कोई भी उपभोक्ता 5 किलो वाट तक का रूफ़ सोलर प्लेट लगा सके, ऐसा नियम बनाया जाए इस पर केंद्रीय मंत्री ने नियम बनाने की बातें भी कही है।

श्री बादल ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह उचित नियम बनाएं जिससे कोई भी पावर प्लांट समय बद्ध तरीके से लगाया जा सके, उन्होंने कहा कि कोयले के क्षेत्र में हम देखते हैं कि कोल ब्लॉक यदि समय बद्ध तरीके से चालू नहीं किया जाता है तो वहां पेनाल्टी लगाए जाने का प्रोविजन है ,इसी तर्ज पर पावर प्लांट प्रोजेक्ट डेवलपमेंट को स समय प्रोजेक्ट लगाने का भी नियम बने अन्यथा उन पर भी पेनल्टी लगाई जाए।

कृषि मंत्री की बातों पर गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया की झारखंड की समस्याओं को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है और जल्द ही समस्याओं के निदान की दिशा में काम किया जाएगा।

कार्यक्रम के दौरान झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के निदेशक श्री के के वर्मा  ऊर्जा से संबंधित तकनीकी बिंदुओं के बारे में सम्मेलन में जानकारी दी। सम्मेलन में श्री ऋषि नंदन भी मौजूद थे।

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