ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने मस्जिद के वजूखाने में कथित तौर पर मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग वाला याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें कि किसी वस्तु की उम्र और समय निर्धारण की विधि को कार्बन डेटिंग कहते हैं. इससे 20 हजार साल पुरानी वस्तुओं की उम्र का पता लगाया जा सकता है. हिंदू पक्ष की मांग थी कि कथित शिवलिंग की जांच के लिए कार्बन डेटिंग कराई जाए. ताकि उसकी उम्र का पता चले. इस मामले में हिंदू पक्ष के ओर से कोर्ट में कार्बन डेटिंग की मांग की गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है.
दरअसल, हिंदू पक्ष जिसे शिवलिंग कह रहा है उसे मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है. कार्बन डेटिंग की मांग चार महिलाओं ने की थी. जिसके बाद शुक्रवार को वाराणसी के जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाया है. हिंदू पक्ष शिवलिंग की उम्र का पता लगवाने के पक्ष में है. यह पूरा मामला मस्जिद की दीवार से सटी श्रृंगार गौरी की पूजा अर्चना की इजाजत की मांग से शुरू हुआ था, जो शिवलिंग के दावे तक पहुंचा है.