पानी बढ़ा, बहती मिट्टी से दलदल, तेलंगाना सुरंग हादसे में रुका बचाव कार्य, फंसे लोगों के बचने की उम्मीदें कम

Telangana Tunnel Hadsa : तेलंगाना के श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल प्रोजेक्ट की सुरंग में फंसे आठ कर्मचारियों को बचाने का काम चुनौतीपूर्ण स्थिति में जारी है। पानी का बढ़ता स्तर और बहती मिट्टी रेस्क्यू ऑपरेशन को कठिन बना रही है। आठ लोगों के बचने की संभावनाएं काफी कम बताई जा रही हैं।

हैदराबाद : तेलंगाना में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) प्रोजेक्ट की सुरंग के अंदर फंसे आठ कर्मचारियों को बचाने का अभियान जारी है। हादसे में बचे मजदूरों ने अपनी आंखों के सामने हुई खौफनाक घटना का मंजर बयां करते समय अपने साथियों की सुरक्षित वापसी की उम्मीद जताई। वहीं सरकार के मंत्री ने कहा कि सुरंग के अंदर फंसे लोगों के बचने की उम्मीद बहुत कम है। इधर पानी का बढ़ता स्तर और बहती मिट्टी, बचाव कार्य को हर घंटे और खतरनाक बना रही है। बचाव कार्य फिलहाल रुक गया है।

22 फरवरी को सुरंग की छत गिरने से आठ लोग सुरंग के अंदर फंस गए थे। 52 लोग सुरक्षित बाहर की ओर भागने में कामयाब रहे और उनकी जान बच गई। जो लोग सुरंग में फंसे हैं, उनकी में दो इंजीनियर और छह वर्कर्स हैं। पीड़ित परिवार तेलंगाना पहुंच चुके हैं।

इसलिए रेस्क्यू का काम हो रहा प्रभावित

राज्य सरकार ने पहले सुरंग के ऊपर से, लगभग 400 मीटर ऊपर से, सीधी खुदाई करने का सोचा था। लेकिन अब इस योजना को छोड़ दिया गया है। अब प्रशासन ने सुरंग के अंदर से ही बचाव का काम जारी रखने का फैसला किया है। इससे बचाव दल के लोगों को कम खतरा होगा। पानी के बढ़ते स्तर और अचानक मिट्टी के जमा होने से सुरंग की मजबूती पर भी सवाल उठ रहे हैं। इसलिए अधिकारियों को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी

समय के साथ बढ़ रही बेचैनी और परेशानी

सोमवार सुबह बचाव दल ने हालात का जायजा लेने के लिए सुरंग में प्रवेश किया। उन्होंने देखा कि मिट्टी का स्तर लगभग एक मीटर बढ़कर सात मीटर से ज़्यादा हो गया है। पानी का बहाव भी लगातार जारी है, जिससे पानी निकालने का काम मुश्किल हो रहा है। विशेषज्ञों को शक है कि पानी का स्तर अचानक बढ़ने की वजह गिर चुकी छत में और हलचल या फिर छत के किसी और हिस्से के गिरने से हो सकती है। हालांकि, वे अभी तक इसकी पुष्टि नहीं कर पाए हैं।

रोका गया बचाव कार्य

अधिकारियों ने यह भी बताया कि टनल बोरिंग मशीन (TBM) बढ़ते पानी के कारण लगभग 500 मीटर आगे खिसक गई है, और मलबा निकालने वाला कन्वेयर बेल्ट भी क्षतिग्रस्त हो गया है। बचाव कार्य अभी रुका हुआ है क्योंकि अधिकारी बहुत सावधानी से काम कर रहे हैं। वे यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि बिना किसी और की जान जोखिम में डाले आगे कैसे बढ़ा जाए।

जोखिम नहीं लेने को कहा गया

नेशनल हाईवेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) ने सरकार से बचाव कार्य धीमा करने और पूरी सावधानी बरतने का आग्रह किया है। उन्होंने सलाह दी है कि इस समय कोई जोखिम नहीं उठाया जा सकता। उन्होंने कहा कि पानी और मिट्टी के बहाव के बीच सुरंग पर नज़र रखी जानी चाहिए ताकि यह पता चले कि कहीं और टूट-फूट तो नहीं हो रही है।

विदेशी एक्सपर्ट्स भी लगे

ऑस्ट्रेलियाई सुरंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर ने भी गैस कटर या किसी भी तरह की खुदाई का इस्तेमाल करने के खिलाफ सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि छत का गिरा हुआ हिस्सा अभी भी अस्थिर है। उन्होंने सलाह दी है कि कोई भी कदम उठाने से पहले पूरी जांच-पड़ताल की जानी चाहिए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘ज़मीन और मिट्टी की स्थिति की स्पष्ट तस्वीर पाने के लिए सरकार ने नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया जैसे संस्थानों को निर्देशांक और नक्शे भेजे हैं ताकि वे आगे विश्लेषण कर सकें।’

मंत्री ने कहा, बचने की संभावना बहुत कम

तेलंगाना के आबकारी मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने सोमवार को कहा कि आठ लोगों के बचने की संभावना ‘बहुत कम’ है, हालांकि उन तक पहुंचने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 2023 में उत्तराखंड में ‘सिल्कयारा बेंड-बरकोट’ सुरंग में फंसे निर्माण श्रमिकों को बचाने वाले ‘रैट माइनर्स’ की एक टीम लोगों को निकालने के लिए बचाव दल के साथ सहयोग कर रही है। मंत्री ने कहा कि फंसे हुए लोगों को बचाने में कम से कम तीन से चार दिन लगेंगे, क्योंकि दुर्घटना स्थल कीचड़ और मलबे से भरा हुआ है जिससे बचाव दल के लिए यह एक मुश्किल काम बन गया है।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *