Chaibasa : 72 घंटे के अंदर निजी संपत्ति से पार्टी झंडा, फ्लैक्स, बैनर हटा लें राजनीतिक दल

Chaibasa :  भारत निर्वाचन आयोग द्वारा झारखंड विधानसभा आम चुनाव-2024 की घोषणा के बाद जिला क्षेत्र में लागू आदर्श आचार संहिता का अनुपालन सुनिश्चित करने को लेकर बुधवार को जिला समाहरणालय स्थित सभागार में जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त कुलदीप चौधरी की अध्यक्षता में स्टैंडिंग कमेटी की बैठक आहूत की गई. बैठक में जिला निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा उपस्थित कमेटी सदस्य एवं राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद भारत निर्वाचन आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता का अनुपालन हेतु राजनीतिक दलों के लिए जारी मार्गदर्शन अंतर्गत क्या करें और क्या ना करें को विस्तार पूर्वक साझा किया गया.

अनुमति प्राप्त स्थान पर ही पार्टी या व्यक्ति के द्वारा रखा जाएगा पार्टी झंडा, बैनर  

इस दौरान राजनीतिक दल के प्रतिनिधियों को किसी भी आयोजन हेतु ऑनलाइन अनुमति प्राप्त करने के लिए निर्मित सुविधा पोर्टल/एप के बारे में भी बिंदुवार कार्यप्रणाली से अवगत कराया गया. बैठक में बताया गया कि जिले में आदर्श आचार संहिता लागू होने के उपरांत 72 घंटे के अंदर निजी संपत्ति पर राजनीतिक दलों द्वारा लगाए गए पार्टी झंडा, फ्लैक्स, बैनर, होडिंग, दीवार लेखन आदि को अपने स्तर से हटाने की नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित किया जाना है. बैठक में बताया गया कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्दिष्ट नियम के आलोक में गृह स्वामी द्वारा अनुमति प्राप्त स्थान पर ही पार्टी या व्यक्ति के द्वारा पार्टी झंडा, बैनर आदि रखा जा सकता है. उम्मीदवार की नाम वापसी की तिथि के बाद पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक के आवास पर झंडा विहित रीति का अनुशरण करते हुए लगाया जा सकता है तथा झंडा लगाने में होने वाले व्यय को उम्मीदवार के चुनाव व्यय खाते में शामिल किया जाएगा.

बिना अनुमति के कोई भी वाहन पर झंडा लगाने पर रोक

बैठक में बताया गया कि निर्वाचन आयोग के प्रावधान अनुसार पार्टी कार्यकर्ता/समर्थक के आवास पर किसी पार्टी या उम्मीदवार के केवल तीन झंडे ही इस्तेमाल किए जाने चाहिए, बिना अनुमति के कोई भी वाहन पर झंडा नहीं लगाएंगे. झंडा लगाने के लिए सक्षम प्राधिकार से अनुमति लेना आवश्यक है, जो निर्वाची पदाधिकारी, जिला निर्वाचन पदाधिकारी, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी होंगे. रैलियों में राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किए जाने की स्थिति में ध्वज संहिता, प्रतीक और नाम अधिनियम, 1950 और राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के प्रावधानों का अक्षरशः अनुपालन अनिवार्य है.

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