ताहिर हुसैन को SC से राहत नहीं, अंतरिम जमानत पर अब 3 जजों की बेंच करेगी सुनवाई

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में चुनाव (Delhi Assembly Election) प्रचार के लिए AIMIM उम्मीदवार और दिल्ली दंगों में आरोपी ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई हुई. कोर्ट से ताहिर हुसैन फिलहाल अंतरिम जमानत नहीं मिली है. अंतरिम जमानत पर दोनों जजों की राय बंटी हुई है. जस्टिस पंकज मिथल ने ताहिर की जमानत याचिका खारिज की तो वहीं, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह अंतरिम जमानत देने के पक्ष में हैं.

ताहिर हुसैन केस की सुनवाई अब तीन जजों की बेंच करेगी. दोनों जजों ने मामले को नई बेंच के गठन के लिए CJI को भेजा गया है.

बता दें कि मामले की सुनवाई के दौरान ताहिर के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि ताहिर को पिछले 4 सालों से अपने निर्वाचन क्षेत्र से दूर रखा गया है. ताहिर मार्च 2020 से लगातार हिरासत में है. जिस पर जस्टिस पंकज मिथल ने कहा कि एक हत्या का मामला भी है, जिसमें एक सरकारी अधिकारी मारा गया था..यह सिर्फ दंगे का ही नहीं.

कोर्ट की सुनवाई से जुड़ी बड़ी बातें 

  • जस्टिस मिथल ने कहा कि सवाल यह है कि क्या उसे अंतरिम जमानत दी जा सकती है, जबकि ताहिर का पिछला रिकॉर्ड इतना खराब है.
  • ताहिर के वकील ने कहा कि किसी राजनीतिक पार्टी के लिए प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत नहीं मांग रहा.. यह अपने लिए प्रचार करने के लिए मांग  रहा है और बीमारी का बहाना नहीं बना रहा है.
  • दिल्ली पुलिस ने ताहिर हुसैन को अंतरिम जमानत दिए जाने का विरोध किया.. कहा ये याचिका चुनाव को आधार बनाकर जेल से बाहर आने का नाटक है.
  • जस्टिस मिथल ने कहा कि अगर उसे सभी मामलों में जमानत नहीं मिलती है तो इस अंतरिम जमानत का मतलब यह नहीं है कि वो बाहर आ जाएगा. पहले ट्रायल कोर्ट में जाइए और उन दो मामलों में जमानत लें और फिर यहां आएं.
  • जबकि जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को ट्रायल कोर्ट के फैसले का इंतजार क्यों करना चाहिए. हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि उन्हें जमानत नहीं मिलेगी.
  • दिल्ली पुलिस ने कहा कि चुनाव के लिए प्रचार करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है. यह न तो संवैधानिक है और न ही मौलिक अधिकार के दायरे मे आता है.
  • जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि लोकतंत्र में हमें लगता है कि लोग पार्टी के लिए वोट करते हैं, लेकिन नहीं.. लोग उम्मीदवारों के लिए भी वोट करते हैं. लोगों को व्यक्ति को चुनने का अधिकार है, पार्टी को नहीं. इसके लिए एक व्यक्ति का होना ज़रूरी है. लोग जेल के अंदर से भी चुनाव जीते हैं, लेकिन हमें देखना होगा कि यह व्यक्ति बाहर निकल सकता है या नहीं.
  • ताहिर हुसैन के वकील ने कहा कि घटना के दिन ताहिर ने ही पीसीआर कॉल किया था. अबतक 2 चश्मदीद गवाह मुकर चुके है. पांचवा गवाह दिल्ली से बाहर है पता नही कबतक दिल्ली आएगा. मैं तो सिर्फ 15 दिनो के लिए अंतरिम जमानत की मांग कर रहा हूं.
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