कुर्मी समाज एसटी में शामिल होने के लिए लगातार आंदोलन कर रहा है। पहले ट्रेन रोको आंदोलन और अब रन फॉर एसटी व आर्थिक नाकेबंदी के जरिये समाज के लोग अपने अधिकार के लिए आवाज़ उठा रहे है .अपनी मांगों को लेकर राज्य में अब कुड़मी समाज के लोग आंदोलन को तैयार हैं। गुरुवार को झारखंड प्रदेश आदिवासी कुड़मी युवा मंच की समीक्षा बैठक गीता रानी मैरिज हॉल में हुई। अध्यक्षता एवं संचालन गीता ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में मंच के नेता मंटू महतो ने कहा कि हमारी सभ्यता लगभग 65 हजार वर्ष पुरानी है। हम राढ़ सभ्यता के निवासी हैं, प्रकृति प्रेमी और जंगल के बीच पहाड़ों के नीचे गुफाओं में नदियों के किनारे सादा और सरल जीवनयापन करने वाली जनजाति हैं। हमारी जीवनशैली भौतिकता से दूर प्रकृति और मौसम के अनुसार ही रच बस जाने वाली रही है। उन्होंने कहा कि हमने सिर्फ प्रकृति को माना है। हमारी संस्कृति प्रकृति की रक्षा के साथ जुड़ी रही। अपनी भाषा है, अन्य भाषाओं से भिन्न है। सभ्यता भौतिकता से दूर है, बनावटी कुछ भी नहीं इसके बावजूद सदियों से हम शोषित और अपेक्षित रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद शोषण एवं उपेक्षा से लड़ रहे आदिवासी समाज को संवैधानिक अधिकार मिला, लेकिन कुड़मी जाति को उसके संवैधानिक अधिकार से एक साजिश के तहत अलग कर दिया। संविधान का अनुच्छेद 342 (1) कुड़मी जाति को आदिवासी सूची में सूचीबद्ध करने की अनुमति देता है, फिर भी हमें बगैर कारण बताए अलग किया गया और 1950 से अभी तक 72 वर्षों में कुड़मी समाज को संवैधानिक लाभ से अलग रखा। पांचवीं अनुसूची के लाभ से 72 वर्षों से हमारी कई पीढि़यां वंचित रहीं और यह समाज पिछड़ता चला गया। बैठक में निर्णय लिया गया कि 13 नवंबर को तोपचांची में मंच सम्मेलन किया जाएगा। सम्मेलन में रन फोर एसटी और आर्थिक नाकाबंदी होगा.