हेमंत सोरेन की सरकार राज्य के गावों में मेडिकल के क्षेत्र में उच्चस्तरीय बदलाव करने में जुटी है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 134 नए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) खोले जाएंगे। इन स्वास्थ्य केंद्रों के संचालन के लिए 2144 पदों पर नियुक्ति की जाएगी। प्रति केंद्र 2 डॉक्टर एवं 9 पैरामेडिकल कर्मियों की स्थायी नियुक्ति होगी। इसमें 268 डॉक्टर, 402 परिचारिका श्रेणी ए और 268 एएनएम के अलावा फार्मासिस्ट, महिला स्वास्थ्य परिदर्शिका, प्रयोगशाला प्रवैधिक एवं लिपिक के 134-134 पदों पर स्थायी नियुक्ति होगी। हर पीएचसी में पुरुष व महिला कक्ष सेवक के 1-1, परिधापक/ड्रेसर के 1, सफाई कर्मचारी सह चौकीदार के 1 एवं डाटा इंट्री ऑपरेटर के 1 पद यानी कुल 670 पद आउटसोर्सिंग के आधार पर भरे जाएंगे। आउटसोर्स कर्मियों का न्यूनतम मासिक मानदेय श्रम विभाग द्वारा निर्धारित पारिश्रमिक के आधार पर तय मानदेय से कम नहीं होगा। आउटसोर्स के पद स्वीकृत नहीं समझे जाएंगे। प्रस्ताव पर वित्त विभाग की अनुशंसा हो गई है। साथ ही उक्त प्रस्ताव पर मंत्रिपरिषद की स्वीकृति भी मिल चुकी है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने इस बाबत संलेख जारी किया है। जल्द ही इसे सरकारी राजपत्र के असाधारण अंक में प्रकाशित किया जाएगा स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा है कि विभिन्न जिलों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की अर्हता पूरी करने वाली जगहों को चिन्हित किया गया है। भवन उपलब्धता के अनुसार 134 पीएचसी स्वीकृत किए गए हैं। सभी पीएचसी के भवन निर्माण का कार्य पूरा हो गया है। इनके संचालन को लेकर भारतीय स्वास्थ्य मानक (आईपीएच) के अनुरूप पदों का सृजन किया गया है। पूर्व में 77 नवसृजित पीएचसी के लिए केवल चिकित्सा पदाधिकारी के कुल 154 पद सृजित किये गये थे। पारा मेडिकल कर्मियों के पद सृजित नहीं किए जा सके थे। अन्य 57 पीएचसी में पारामेडिकल कर्मियों के साथ-साथ चिकित्सा पदाधिकारी का पद भी सृजित नहीं होने के कारण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा है कि एकीकृत बिहार में स्वीकृत ऐसे 1990 पद, जिनकी आवश्यकता नहीं है, उन्हें सरेंडर करने का निर्णय लिया गया है।