महाकुंभ में मुस्लिमों ने पेश की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल, खोल दिए दरवाजे, दरी-चादर भी बिछाई

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की खिदमत का मौका मिला तो मुस्लिम समाज के इन लोगों ने अपने घरों, दायरों के दरवाजे खोल दिए। आराम के लिए दरी, चादर, प्लास्टिक बिछा दी गई थी। चाय, बिस्किट, पूड़ी, सब्जी का बंदोबस्त कराया गया था। 2 दिनों तक हजारों श्रद्धालु यहां ठहरे रहे।

Maha Kumbh 2025: मौनी अमावस्या का स्नान कर संगम से प्रयागराज की ओर से आए श्रद्धालुओं की सेवा कर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक बार फिर गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की। श्रद्धालुओं के लिए इन लोगों ने घर, दायरों और मार्केट के दरवाजे खोल दिए। जिससे जो बन पड़ा, वो किया। नखास कोहना, चौक, रौशनबाग, सेवई मंडी, रानीमंडी, हिम्मतगंज इलाकों में गजब का भाईचारा दिखा।

28 जनवरी की रात कोतवाली पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती देख यादगार हुसैनी इंटर कालेज के प्रबंधक गौहर काज़मी ने विद्यालय को खोलने का आदेश दिया। खिदमत करने का मौका मिला तो श्रद्धालुओं के ठहरने से लेकर खाने-पीने संबंधी सभी सुविधाएं प्रदान करने का तेजी से प्रबंध कराया गया। क्षेत्रवासी भी उनकी सेवा में जुट गए। कुछ ही देर में स्कूल परिसर का मैदान और कक्षाएं श्रद्धालुओं से भर गईं। उनके आराम के लिए दरी, चादर, प्लास्टिक बिछा दी गई थी। चाय, बिस्किट, पूड़ी, सब्जी का बंदोबस्त कराया गया था। दो दिनों तक हजारों श्रद्धालु यहां ठहरे रहे। शुक्रवार को तीसरे दिन दोपहर में कुछ श्रद्धालु अपने घरों के लिये रवाना हुए। शिक्षक रज़ा अब्बास ज़ैदी, मो. अब्बास, ताहिर हुसैन, हसन अख्तर, एहसन अब्बास और मोहल्ले के लोग श्रद्धालुओं की सेवा में लगे रहे।

आसिफ रज़ा नियाज़ी और शीराज़ ने बताया कि श्रद्धालुओं की भीड़ तो सेवई मंडी, बांस मंडी में श्रद्धालुओं के ठहरने का बंदोबस्त कराया गया। रात भर आराम कर सुबह होने पर श्रद्धालु धीरे-धीरे आगे बढ़े। रौशनबाग में मदरसा शाह वसी उल्लाह के पेश इमाम मो. अमीन भी श्रद्धालुओं की खिदमत में जुट रहे। उनके साथ डॉ. अहमद मकीन, महमूद करीम, अहमद ज़यान के साथ दर्जनों साथियों ने श्रद्धालुओं के ठहरने का इंतजाम कराया।

मार्केट को खुलवाकर ठहरने की व्यवस्था कराई गई। पानी की बोतलें, बिस्किट, ब्रेड, चाय दी गई। मुमताज़ महल में रहने वाले मंसूर उस्मानी ने अशरफ व अन्य साथियों के साथ मुमताज़ महल परिसर में श्रद्धालुओं के ठहरने का बंदोबस्त कराया। किसी ने चादर, गद्दा तो किसी ने जमीन पर बिछाने के लिए प्लास्टिक का बंदोबस्त किया। हलवाई से पूड़ी, सब्जी, चावल बनवाकर सभी को भोजन कराया गया। मुसाफिर खाना के मैनेजर वसीम ने नूरउल्ला रोड बुड्ढा ताजिया पहुंचे श्रद्धालुओं की खिदमत की।

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