हेमंत सोरेन की सरकार झारखण्ड के संविदा कर्मियों के लिए बड़ी खुशखबरी लेकर आई है. अब इन्हें भी सातवें वेतनमान के हिसाब से महंगाई भत्ता और अन्य देनदारियों का लाभ मिलेगा। इससे इनका औसतन 30 से 50 प्रतिशत तक वेतन बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। ज्ञात हो कि राज्य में लगभग दो लाख संविदा कर्मियों के मूल वेतन और महंगाई भत्ते में छह से अधिक वर्षों से बढ़ोतरी नहीं की जा रही है। जबकि सरकार ने संविदाकर्मियों के महंगाई भत्ते में छठे वेतन आयोग के निर्देश के अनुसार 113 % की बढ़ोतरी करने का संकल्प जारी किया था। राज्य में इनका वर्ष 2015 से महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी नहीं की गयी है। नियमों के अनुसार सातवां वेतन आयोग लागू होने पर संविदाकर्मियों के मूल वेतन तथा महंगाई भत्ता का पुनर्निर्धारण किया जाना चाहिए था, जो अभी तक लंबित है। संविदा कर्मियों के वेतन में वार्षिक वेतन वृद्धि तथा महंगाई भत्ता में वेतन वृद्धि भी लागू नहीं किया है। इस कारण वर्षों तक उनका वेतन नहीं बढ़ता है जबकि कई संविदा कर्मियों की नियुक्ति मूल वेतन तथा महंगाई भत्ता के आधार पर की जाती है। अभी तक की तैयारियों के अनुसार इस बार कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव लाया जा सकता है। विभाग के सूत्रों के अनुसार नई व्यवस्था में सरकार के खजाने पर लगभग 75 करोड़ रुपये का बोझ आएगा। इस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री की ओर से पहले ही हरी झंडी मिल चुकी है। मुख्यमंत्री ने स्वयं संविदा कर्मियों की समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन विभिन्न स्तरों पर दिया था और अब इस आश्वासन के अनुसार से सरकार निर्णय लेने जा रही है।